महाराज प्रेमानंद जी के मुताबिक कोई भी व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता है। यह तुम्हारे कर्मों का फल होता है, जो उस व्यक्ति के द्वारा मिलता है। इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए।
प्रेमानंद जी महाराज के कुछ अनमोल विचार ये हैं:
जीवन में संतोष और प्रेम सबसे बड़ी पूंजी हैं; सच्ची भक्ति और प्रेम ही सच्चा धर्म है और ये अनंत सुख देते हैं; क्रोध को शांत करने के लिए अपना ध्यान हटाकर सकारात्मक विचारों पर केंद्रित करें

प्रेमानंद जी महाराज केवल एक नाम नहीं बल्कि कई व्यक्तियों की प्रेरणा है।
महाराज का कहना है हर दिन एक जैसा नहीं होता इसका अर्थ है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। इसलिए दुख और सुख का अनुभव समान नहीं होता है।
महाराज प्रेमानंद जी का दूसरों के प्रति विचार
दूसरों को माफ़ करना ही अपने मन को शांति देने का सबसे प्रभावी तरीका है।”
सद्भावना: “जो स्वयं में संतुष्ट रहता है और दूसरों के लिए सद्भावना रखता है, वही व्यक्ति सबसे बड़ा होता है।”
कर्तव्य: “दूसरों का हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, इस पर सोचने की जगह हमें यह सोचना चाहिए कि उनके प्रति हमारा क्या कर्तव्य है।
महाराज प्रेमानंद जी के अनमोल विचार
महाराज प्रेमानंद जी के मुताबिक कोई भी व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता है। यह तुम्हारे कर्मों का फल होता है, जो उस व्यक्ति के द्वारा मिलता है। इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए।
जीवन में सच की राह पर चलने वाले व्यक्ति की बुराई अवश्य होती हैं। लेकिन कभी भी इनसे घबराना नहीं चाहिए। यह बुराई आपके बुरे कर्मों का नाश करती है।
आप जैसे भी हो स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। हमारा यह जीवन उनका दिया हुआ है। आज हमारे पास जितने भी संसाधन हैं, वो सभी ईश्वर की कृपा है। हम जिसका भोग कर रहे है, यह सबकुछ ईश्वर का है। ऐसे विचार के साथ व्यक्ति को कर्म करना चाहिए।
महाराज कहते है मन और विचारों पर नियंत्रण रखें
अगर मन खाली होगा, तो उसमें हर तरह के विचार आने लगते हैं। इसलिए अपने मन को खाली न रहने दें। कुछ अच्छा पढ़ें, अच्छे लोगों के बीच रहें और हो सके तो सत्संग सुनें।
क्रोध को शांत करने का एकमात्र उपाय अपना ध्यान वहां से हटाना है और दूसरी ओर लगाना है।”
जब मन अशांत हो, जब कुछ समझ न आए, उस वक्त सिर्फ एक ही सहारा है और वो है ईश्वर का नाम

महाराज प्रेमानंद जी के सुविचार
जो हरि का भक्त होता है उसे हमेशा जय की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति अपने आप से प्यार करता है वह सच्चा प्रेमी होता है। सबसे पहले खुद से प्यार करना सीखें।
जिंदगी का असली अर्थ दूसरों की भलाई में है, अपने सुख में नहीं।
जो दूसरों को सच्चा प्रेम और सम्मान देता है वही जीवन में सफल होता है।
वास्तविक ज्ञान वह है जो आत्मा को जानने के बाद प्राप्त होता है।
धैर्य और शांति से बड़े-बड़े संकटों का समाधान किया जा सकता है।
आत्मा की शुद्धता ही सच्चे जीवन का मार्ग है।
मनुष्य की असली महानता उसके विचारों में है, न कि बाहरी रूप में।
जो अपने अंदर शांति और प्रेम को महसूस करता है वही दूसरों को भी शांति और प्रेम दे सकता है।
मनुष्य अपने कर्मों से अपन पहचान बनाता है, शब्दों से नहीं।
धर्म गुरु प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन से कई भक्तों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आया है। हजारों की संख्या में लोग वृंदावन पहुंच रहे हैं, ताकि प्रेमानंद महाराज की एक झलक देख सकें।
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